देश-दुनिया में कई अजीबोगरीब और हैरान कर देने वाली परंपराएं देखने को मिलती हैं।इनमें से कुछ रीति-रिवाज इतने अनोखे होते हैं कि यकीन करना मुश्किल हो जाता है।इंडोनेशिया में भी सालों से ऐसी ही परंपरा चली आ रही है।
जहां माता-पिता अपने बच्चों को जमीन में नहीं बल्कि पेड़ों के नीचे दफनाते हैं।इंडोनेशिया में बच्चों की मौत के बाद अलग तरीके से दाह संस्कार किया जाता है।उनके बच्चे हमेशा प्रकृति के साथ रह सकें।यह परंपरा अजीब है लेकिन सदियों से चली आ रही है।
यह अजीबोगरीब परंपरा इंडोनेशिया के ताना तारोजा की है।बड़ों का दाह संस्कार यहां उसी तरह किया जाता है जैसे पूरी दुनिया में किया जाता है।यहां बच्चों के शवों को न तो जमीन में गाड़ा जाता है और ही जलाया जाता है,बल्कि प्रकृति से जोड़ा जाता है।
![why do babies bury their faces](https://parthghelani.in/wp-content/uploads/2023/03/born-babies-kids-buried-in-trees-1024x538.jpg)
बच्चों के दाह संस्कार के लिए पेड़ के तने को पहले अंदर से खोखला किया जाता है और जब बच्चा मर जाता है तो उसे कपड़े में लपेटकर पेड़ के तने में रख दिया जाता है और उसके शरीर को पेड़ में बदल दिया जाता है।इस परंपरा के अनुसार,अपने बच्चे की मृत्यु के बाद,उन्हें एक पेड़ में दफना दिया जाता है,ताकि जीवन भर अपने करीब और प्यार महसूस करें।
इस अनोखी परंपरा के अनुसार यहां के लोग जब अपने बच्चों को पेड़ में दफनाते हैं तो पेड़ को अपना बच्चा कहते हैं।यहां के लोगों का कहना है कि उनका बच्चा भले ही इस दुनिया से चला गया हो लेकिन पेड़ में दफन होने पर उन्हें लगता है कि उनका बच्चा अभी भी उनके साथ है।इस परंपरा का पालन दुनिया में कहीं नहीं होता है,इसे केवल इंडोनेशिया के ताना तारोजा के लोग करते हैं।
दक्षिण अमेरिका में एक जनजाति रहती है जो अंतिम संस्कार के समय एक अजीबगरीब परंपरा का पालन करती है।यह परंपरा इतनी अजीब है कि जानकर आपको यकीन नहीं होगा।
![why do they buried 6 feet under](https://parthghelani.in/wp-content/uploads/2023/03/born-babies-kids-buried-in-trees-1-1024x538.jpg)
दक्षिण अमेरिका में रहने यानोमानी जनजाति के लोग अंतिम संस्कार से जुड़ी इस अजीबोगरीब परंपरा का पालन करते हैं।इस परंपरा में मृतक को जलाने के बाद बची राख को सूप बनाकर पीते हैं।जानकर आपको यकीन नहीं हो रहा होगा,लेकिन यह पूरी तरह से सच है।
यानोमानी जनजाति दक्षिण अमेरिका में पाई जाती है।दुनिया में इस जनजाति को यानम या सेनेमा के नाम से भी जाना जाता है।दक्षिण अमेरिका के अलावा यह जनजाति वेनेजुएला और ब्राजील के कुछ इलाकों में भी मिलती है।इस आदिवासी जनजाति की सभ्यता पश्चिमी सभ्यता से बिल्कुल अलग है।यानोमानी जनजाति के लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं का पालन करते हैं।
दक्षिण अमेरिका में पाई जाने वाली इस जनजाति में अंतिम संस्कार करने की परंपरा बेहद अजीबोगरीब है।इस परंपरा को एंडोकैनिबेलिज्म कहा जाता है जिसका पालन करने के लिए जनजाति के लोग परिजन के मृतक शख्स का मांस खाते हैं।
![newborn buried alive](https://parthghelani.in/wp-content/uploads/2023/03/performing-funeral-rites-is-very-strange-1024x538.jpg)
यानोमामी जनजाति के लोगों का मानना है कि किसी शख्स की मौत के बाद उसकी आत्मा की रक्षा करनी चाहिए।इस जनजाति में लोग मानते हैं कि किसी की आत्मा को तभी शांति मिलती है,जब उसके शरीर को रिश्तेदारों ने खाया हो।
इसीलिए इस जनजाति के लोग अंतिम संस्कार के बाद राख को भी किसी ना किसी तरीके खा जाते हैं।उनका मानना है कि ऐसा करने से शख्स को शांति मिलती है।जनजाति में अगर किसी शख्स की हत्या किसी दुश्मन या रिश्तेदार द्वारा कर दिया जाता है,तो उनका अंतिम संस्कार भी अलग तरह से किया जाता है। ऐसी स्थिति में सिर्फ महिलाएं ही राख को खाती हैं।