Heartbeats
Chapter-4
A story by
Parth J. Ghelani
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E-Mail-parthghelani246@gmail.com
Disclaimer
ALL CHARECTERS AND EVENT DEPICTED IN THIS STORY IS FICTITIOUS.
ANY SIMILARITY ANY PERSON LIVING OR DEAD IS MEARLY COINCIDENCE.
इस वार्ता के सभी पात्र काल्पनिक है,और इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति के साथ कोई संबध नहीं है | हमारा मुख्य उदेश्य हमारे वांचनमित्रो को मनोंरजन कराना है |
आगे देखा,
प्रेम आरोही को इम्प्रेस करने के चक्कर में पूरी रात जागकर मेथ्स के प्रॉब्लम सोल्व करता है | दुसरे दिन प्रेम जल्दी जल्दी उठकर कोलेज पहोंचता है पर वहाँ जाके उसको पता चलता है की आज तो कोलेज में आरोही तो नहीं है,जिसके कारण उसका मुड ऑफ़ हो जाता है | दुसरि ओर आरोहि भी प्रेम को मिलना चाहती है,प्रेम से बात करना चाहती है इस लिए जल्दी जल्दी कोलेज की ओर बाइक भागके आती है लेकिन बिचमे बाइक पंक्चर हो जाती है जिसके कारण वो मेथ्स का पहेला लेक्चर्स मिस कर देती है | क्लास के दरवाजे के पास जाकर आरोही की नजर प्रेम को ढूंढने लगती है और जब प्रेम दिख जाता है तो मन में ही जोर से बोलती है…yessssssssss……..,
अब आगे,
May I come in sir???
प्रेम की ओर नजर रखते हुये में बोली,जैसे ही ये सर ने सुना की सर की नजर पहेले उसकी घडी की तरफ फिर वहाँ से हमारी ओर देखकर बोले,
कोलेज का टाइम क्या है??
सर, 8:50 AM | प्रिया बोली
और अभी कितने बजे?? फिर से सर ने पूछा
सर, 9:59 AM | मेने कहा
तो अबतक कहाँ पर थे??
सर,वो बाइक में पंक्चर हो गया था,इस लिए…अभी प्रिया बोल रही थी के सर बिच में बोले,
ओह्ह,तो दुसरे ही दिन से बहाने भी बनाने लगे??
नहीं,सर सच में बाइक का पंक्चर हुवा था | मैंने कहा
बस,मैंने सफाई नहीं मांगी | पहेली बार है इसलिए छोड़ रहा हु अगली बार कोई बहाना नहीं समजे??
हां,सर | हम दोनों साथ में बोले
ओके,प्लीज़ सिट |
थेंक यु,सर | मैंने कहा और हम दोनों फर्स्ट बेंच खाली थी वहाँ पर जाके बैठ गए |
हमें फर्स्ट बेंच पे बैठने का कोई शोख नहीं था लेकिन कोलेज में यही होता है,मतलब के जो लेट आए वो फर्स्ट बेंच पे और जो क्लास में पहेले आए वो लास्ट बेंच पे |
हमदोनो जैसे ही बैठ गये कि सर वापस प्रेम की ओर मुड़कर बोले,
चलो अब बताओ इसका सोल्यूशन |
फिर क्या?? प्रेम ने तो बड़ी आसानी से उसको सोल्व कर दिया |
वेरी गुड | जैसे ही प्रेम ने सोल्व किया की सर बोले और प्रेम को पूछा क्या नाम है तुम्हारा?? ये सुनते ही तुरंत ही में अपने मन में बोली “प्रेम” |
जी,सर प्रेम | प्रेम ने अपना नाम बताया |
कहाँ से??
सर,सूरत से |
ओके,प्लीज़ सिट |
आज प्रेम भी पहेली बेंच पर ही बैठा हुवा था,लेकिन फिर भी में उसे आराम से नहीं देख पा रही थी क्योंकि उसके दायें आशीष और मेरी बायीं तरफ प्रिया थी मतलब हमारी पोजीशन कुछ इस तरह सी थी …”AAROHI – PRIYA – ASHISH – PREM” |
प्रिया को तो में संभाल सकती हूँ,लेकिन आशीष का क्या करू?? जब भी प्रेम की और देखती हूँ तब हमेंशा वो बिच में आ जाता है,दस बार देखती हु तब एक बार जाके मुझे उसका चेहरा दिखाई दे रहा था |
प्रेम को देखने के चक्कर में सर ने मुझे देख लिया और मुझे कहा,
एक तो क्लास में लेट आना है,ऊपर से क्लास में ध्यान भी नहीं देना | चल,जल्दी से मुझे इस सवाल का जवाब दो,
ये विषय मेथ्स जितना पावरफुल नहीं था मेरा,सो मुझसे ऐ सोल्व नहीं हो पाया तो सर ने प्रिया को पूछा लेकिन वो भी मेरी बहेन ही थी इसलिए उससे भी नहीं हुवा | आखिर में सर प्रेम की तरफ देख के बोले,
चलो,प्रेम अब तुम्ही उसको सोल्व कर दो | फिर क्या उसने तो फटाफट सोल्व कर दिया,जैसे ही प्रेम ने सोल्व किया की सर ने उसे फीर से वेरी गुड बोलके बिठा दिया और हम दोनों को फिर से पुरे क्लास के बिच में सुनाया |
मुझे बुरा इस बात का नही लगा की सर ने पुरे क्लास के सामने मुझे सुनाया बल्कि उस बात का ज्यादा बुरा लगा की प्रेम सामने मुझे सुनाया | आज में उससे बात करने का प्लान बनाकर घर से आई थी,लेकिन उस प्लान की तो बेंड बजादी इस सर ने | अब क्या करू??बात करने जाऊ के नहीं???
बात करने तो जाना ही होगा पर किस मुह से जाऊ??अगर उसने मुझसे बात नहीं की तो??उसने भी मुझे EEE को लेकर भला-बुरा सुनाया तो??? अगर सुनाया तो मुझे सबसे ज्यादा बुरा लगेगा,क्योंकि आप जिससे पसंद करती हो वो आपको सुनाये तब सबसे ज्यादा hurt होता है | ये सब सोच के अब बात करने का प्लान पोस्टपोन कर दिया |
प्रेम
जैसे ही मेने आरोही को दरवाजे पे देखा तो में मन ही मन बोल पड़ा “Thank GOD” | इस बार फिर से हमारी नजर एक हो गई और फिर से “I Miss My HeartBeats” | क्लास में लेट आने की वजह से सर ने उन दोनों को भला बुरा सुनाया जिससे मुझे अच्छा नहीं लगा,लेकिन गलती थी इसलिए तो सर ने बोला एसा सोच के मेने अपने मन को समजा लिया | थोड़ी देर में वो एकजेट मेरे पेरेलल की जो पहेली बेंच थी उस पर जाके वो बैठ गई जहाँ से वो मुझे आसानी से दिखाई दे रही थी,लेकिन कभी कभी प्रिया बिच में आ जाती थी जो मुझे अच्छा नहीं लगता था |
अब सर मेरी तरफ मुड़ कर बोले , चलो अब बताओ इसका सोल्यूशन |
फिर क्या मैंने भी जल्द से जल्द बड़ी आसानी से सोल्व कर दिया इसलिए सर ने मुझे वेरी गुड कहा | मुझे इस बात की ख़ुशी नहीं थी की सर ने मुझे सबके सामने अच्छा कोम्प्लिमेंट दिया बल्कि इस बात की सबसे ज्यादा ख़ुशी थी की आरोही के सामने मुझे कोम्प्लिमेंट दिया |
कल जो मैंने मेथ्स के लेक्चर्स में अपनी इज्ज़त खोई थी वो आज वापस मुझे EEE में मिल चुकी थी,मतलब में ओर आरोही वापस इक्वल्स लेवल पे आ गए,इस के कारण मेरा आत्मविश्वास वापस थोडा बढ़ गया |
थोड़ी देर बाद सर ने आरोही को खड़ा किया प्रॉब्लम सोल्व करने के लिए लेकिन उससे नहीं हुवा,और नहीं उसकी फ्रेंड्स से हुवा तो सर ने वापस मुझे अपने नाम से बुलाकर खड़ा किया प्रॉब्लम सोल्व करने को ओर एक बार फिर से मैंने बड़ी आसानी से सोल्व कर दिया,एक बार फिर से में हीरो बन गया आरोही के सामने |
आज का दिन मेरे लिए अच्छा था,लेकिन आरोही के लिए ख़राब | मै अभी तक कन्फ्यूज था की आरोही से प्रॉब्लम सोल्व नहीं हुवा तो ये मेरे लिए अच्छी बात है,की बुरी?? एक तरफ अच्छी लग रही थी क्योकिं इससे मेरे पास एक बहाना था उससे बात करने का,और बाद में मुझे लगा की नहीं ऐ ख़राब है,अरे मै इतना भी सेल्फिश कैसे हो सकता हु की जिसको में पसंद करता हु उसका ही बुरा सोचु?? अगर में उससे पसंद करता हु तो इसका मतलब उसकी ख़ुशी मेरी ख़ुशी,उसका दुःख मेरा दुःख…
में ऐ सब सोच रहा था की लेक्चर्स खत्म होने की घंटी बजी,जैसे ही लेक्चर्स ख़त्म हुवा की सर जाते जाते बोले आज के क्लास में अगर आपको कुछ समज में नहीं आया हो तो मेरे ऑफिस में आकर मुझे बताना में आपको सिखाऊंगा,अगर मेरे पास ना आ सको,और में आपको नही मिलु तो आप प्रेम से सिख सकते है |
आपको खास बोल रहा हु आज जो सिखाया वो कल में तुमसे पहेले पूछ ने वाला हु तो आप तो सीखकर ही आना | सर आरोही की तरफ देख के बोले
प्रेम,इस पर थोडा ध्यान रखना और सिखाना सर ने मेरी तरफ देख के बोला के तुरंत ही मेरे मुह से निकल गया.
हां,सर उसपे ही ध्यान है…इतना बोला की सर बोले,
मतलब..!!
मतलब,कुछ नहीं सर जैसे आपने कहा वैसे ही करूँगा | मैंने सर को कहा
गुड,इतना बोलके सर क्लास से बहार निकल गए |
आज मेरा दिन कुछ ज्यादा ही अच्छा था,आज EEE के लेक्चर्स नतो मेरी दुनिया ही बदल दि,क्योंकि सर ने जाते जाते भी जेक्पोट लगा दिया,पर एक बार फिर से सर ने जाते जाते आरोही की इंसल्ट कर दि..
EEE की भाषा में कहा जाये तो आज का मेरा और आरोही का कुछ इस तरह का था,
प्रेम α