कई लोग ऐसे होते हैं जो भूत की कहानियां पढ़ना पसंद करते हैं तो कई लोग भूत की कहानियां पढ़ने से डरते भी हैं।भूत की कहानी पढ़ना नहीं चाहता क्योंकि वह बहुतों से डरता है।
1).माँ की ममता:(mother’s love)
गुजरात शहर में एक लड़का रहता था।जिसका नाम उत्कर्ष था।जो 35 साल का था।सोचा कि मैं अपने परिवार के साथ पिकनिक के लिए देहरादून जाऊ।
जहां उसने 6-7 दिन अपने परिवार के साथ बिताए।जब वह अपने घर गुजरात आने लगा।उसका पूरा परिवार गाड़ी में बैठ चुका था।वह भी रास्ते में आते आते रात के 2:00 बज चुके थे।
वह देहरादून के पहाड़ों को पर कर रहा था। तब सड़क एकदम सुनसान पड़ी थी और पूरी सड़क पर सन्नाटा छाया हुआ था।

अचानक उत्कर्ष की गाड़ी के आगे एक औरत दिखाई दी जिसके काले घने लंबे बाल और सफेद रंग की साड़ी पहनी हुई थी।वह दूर से ही हाथ हिलाकर गाड़ी को रुकने का इशारा कर रही थी।
औरत को देखकर उसकी मां ने कहा बेटा गाड़ी मत रोको पता नहीं यह कैसी औरत होगी।जो रात के समय सड़क पर घूम रही है क्या पता यह कोई लूटेरन हो या फिर कोई बुरा साया।तब तक गाड़ी उस औरत के पास में पहुंच गई।
जोर-जोर से गाड़ी का दरवाजा पीटने लगी उसको देखकर ऐसा लग रहा था।बहुत मुसीबत में फसी हो उत्कर्ष की मां ने बोला गाड़ी का दरवाजा मत खोलो लेकिन उत्कर्ष ने बोला की यह औरत किसी बड़े घर की और शरीफ दिख रही है।और लगातार रोए जा रही है।
एक बार इससे बात कर लेता हूं और उसने गाड़ी का दरवाजा खोलकर पूछा क्या बात है।आपको कहां तक जाना है।आप क्यों रो रही हो।तब औरत ने बोला कि मेरी गाड़ी खाई के नीचे गिर गई है।उसमें पीछे वाली सीट पर मेरी छोटी बेटी फस गई है।

कृपया आप मेरी मदद करो इतना सुनकर उत्कर्ष खाई की तरफ दौड़ा और उसके पीछे उसका पूरा परिवार भी दौड़ा उत्कर्ष सड़क के नीचे खाई में उतरा और गाड़ी का दरवाजा पीटने लगा लेकिन दरवाजा नहीं खुल रहा था।
उसने किसी तरह की इट से पीटकर गाड़ी का कांच तोड़ दिया।लड़की को उतार लिया।वह लड़की लगातार रोए जा रही थी।मैंने बोला बेटा तुम्हारी मम्मी पीछे ही खड़ी है।
अपनी मम्मी के पास जाओ तब भी वह लड़की मम्मी मम्मी बोले जा रही थी।फिर मैंने उसको अपनी गोदी में उठा लिया।ऊपर आने लगा तभी मेरी निगाह गाड़ी के आगे वाली सीट पर गई।शीशे के अंदर कुछ धुंधला-धुंधला सा दिख रहा था।
मैंने वह भी काँच तोड़ा तो देखा आगे वाली सीट पर एक औरत बैठी हुई थी।जिसका माथा फूट गया था।खून बहुत सारा निकल रहा था।वह मर चुकी थी।मैंने पीछे मुड़ कर देखा कि वह औरत वही है। तब तो मेरे होश उड़ गए।
तभी मेरा परिवार इकट्ठा होकर मेरे पास आ गया।यह भयानक दृश्य सब ने देखा।औरत मर चुकी थी उसी ने हम से मदद लेकर अपनी बच्ची को बचाया रात में हमें उसके बाद वहां कोई नहीं दिखा।

हमने आवाज भी लगाई तो भी वह औरत दोबारा नहीं आई।हम बच्ची को लेकर अपने घर आ गए।अभी तक वह लड़की हम लोगों के साथ हमारे घर में रहती है।उसकी माँ ना तो हमें कहीं दिखाई दी और ना ही कभी परेशान किया।
2).पीपल का भूत:(peepal’s ghost)
एक बार भानगढ़ से 2 किलोमीटर दूर एक छोटा सा गांव था।राजगढ़ वहां पर 2 मित्र रहते थे।वह एक दूसरे के साथ ही दफ्तर में काम करते थे।
रात होने पर खाना-वाना खाने के बाद गांव का भ्रमण करते थे।पता लगाते थे कि आज गांव में क्या-क्या हुआ।दोनों को पंचायत करने का और सब का मजाक उड़ाने में उन्हें अच्छा लगता था।
उनके मां-बाप ने उनकी इन्हीं हरकतों की वजह से उनका नाम भी सोच समझ के रखा था।एक का नाम था शेर सिंह दूसरे का नाम था राम भरोसे।
शेर सिंह अपने नाम के हिसाब से ना तो किसी से डरता और ना ही किसी की बातों पर बिना देखे विश्वास करता।राम भरोसे भगवान भरोसे विश्वास करता था।सब पर विश्वास करता चाहे कोई सच बोले या झूठ फट से मान लेता।

एक बार किसी ने राम भरोसे को बताया कि गांव के बाहर एक खेत में पीपल का पेड़ है।उस पर प्रेत और बरम रहते हैं। तो राम भरोसे को लगा कि इसने देखा होगा।
तभी तो बोल रहा है। यह सच ही होगा। उसने यह बात अपने मित्र शेर सिंह को बताया।शेर सिंह ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं होता।भूत तो होते ही नहीं तो राम भरोसे ने बोला ठीक है।
अगर तुम्हें हमारी बातों पर विश्वास नहीं होता तो तुम आज रात उस पीपल के नीचे एक खुटा गाड़ कर आ जाओ।शेर सिंह ने बोला क्यों नहीं ऐसा ही होगा।तुम हमारे साथ चलना।रामभरोसे ने झट से मना कर दिया।क्योंकि वह डरता था।
उसने कहा तुम खुटा जब गाड़ोगे तब मैं दूर से सारे साथियों के साथ तुम्हें देखूंगा।जब तुम खूंटा गाड़ देना तो हमें टॉर्च जलाकर इशारा कर देना। अगर फिर भी कुछ नहीं हुआ। तो हम लोग तुम्हारे पास आ जाएंगे।
और तुम्हारी बातें भी मान लेंगे।शेर सिंह ने कहा ठीक है और आधी रात बीत गई तब शेर सिंह उस पीपल के पेड़ के नीचे गया और बाकी मित्र दूर से देख रहे थे।
जैसे जैसे खुटा गाड़ ने लगा तो ठक-ठक की आवाज आने लगी।वह भी डर गया।भागने की कोशिश करने लगा।खूटे के नीचे उसकी धोती फस गई और वह खुल गई।सोचा कि मेरी धोती प्रेत ने खींच लिया।

तो वह बिना धोती लिए नंगा ही भागने लगा।भागते देख कर उसके सारे साथी भी झट-पट घर को भागने लगे। तभी एक मित्र ने बोला कि बरम ने शेर सिंह को मार डाला होगा।हम को भी मारने दौड़ा है।
भागो जल्दी-जल्दी किसी का गिरने से पाव टूटा और किसी का हाथ टूटा यहां तक तो एक की आंख भी फूट गई फिर भी कोई रुका नहीं।
क्योंकि उनके पीछे तो भूत पड़ा था।किसी तरह सब लोग अपने अपने घर आए।जब सुबह हुई तो सब लोगों ने सोचा कि चलो शेर सिंह के यहां उसके मरने की खबर उसके माँ-बाप को दे देते है।
जिंदगी वो यही सोचेंगे कि मेरा बेटा कही भाग गया। जब सारे मित्र मिलकर उसके घर पहुंचे तो सब ने देखा कि शेर सिंह के 2 दांत टूट गए थे।
सिर पर काफी गहरी चोट आई थी।सबको लगा की बरम ने इसको मार कर छोड़ दिया होगा।वह हम लोगों की तरफ जो दौड़ने लगा था। सब लोगों ने यह घटना गांव वालों को बताई। सब ने बोला यह कोई भूत ही कर सकता है
जब सुबह सूरज निकला और 10-11 बजे तो सब मिलकर पीपल के पेड़ के नीचे पहुंचे।वहां उन्होंने देखा कि शेर सिंह की धोती खूंटे के नीचे फंसी हुई थी।

जिसके कारण उसको लगा कि कोई उसे खींच रहा है।कुछ और दिखा तो नहीं लेकिन शेर सिंह भी तभी से सब की बातों पर विश्वास करने लगा और खूब डरने भी लगा।
3).दादाजी की गलती हम लोगो पर पड़ी भारी:(majedar bhoot ki kahani)
आज मैं आप सभी को अपने परिवार के साथ घटी हुई सच्ची घटना के बारे में बताने जा रहा हूं।मेरे दादाजी की मौत करीब 30 साल पहले हो चुकी थी।
मरने के पहले मेरे दादाजी ने एक लड़की का गला दबाकर उसे फांसी पर लटका दिया था।वह मेरे दादाजी के बारे में पहले ही बहुत सारी बातें जानती थी।
जो सबको बताना चाहती थी।मेरे दादाजी ने उसे मार दिया था।उस समय मैं बहुत छोटा था।मुझे कुछ याद नहीं था।जब मैं 16 साल का हो गया।
मेरे गांव वालों ने मेरे दादाजी के किए हुए कारनामों के बारे में बताया।मुझे विश्वास ना हुआ।एक बार की बात है।मेरे दादाजी की बरसी थी।उस दिन पूरे गांव वालों और बाहर वालो को खाने पर बुलाया था।
जब सब लोग खाना खाकर अपने-अपने घर चले गए।हम लोगों ने सबसे पीछे खाना खाया और कामकाज करने के बाद छत पर सोने चले गए।

आधी रात बीतने के बाद मेरे चाचाजी अजीबो गरीब हरकतें और तरह-तरह की आवाज निकालने लगे।कभी हंसते और कभी जोर- जोर से रोने लगते।
तब मैं बहुत डर गया था।तभी मेरे पिताजी ने बोला कि तुम सभी नीचे जाओ और मेरे पिताजी चाचाजी के सामने हाथ जोड़ कर बैठ गए।
मेरे भाई को क्यों परेशान कर रहे हो।तब चाचा जी के अंदर से लड़की की आवाज निकलने लग गई।जिसको मेरे दादाजी ने मारा था।
लड़की ने मेरे चाचाजी के जरिए अपनी सारी कहानी मेरे पिताजी को बता दी और कहा कि मुझे मुक्ति नहीं मिली है। इसीलिए मैं आप सभी को परेशान कर रही हूं।तब मेरे पिताजी बहुत परेशान हो गए मानव उनके होश उड़ गए।
मेरे पिताजी किसी विद्वान पंडित को यह बातें मिल कर बता दी और पंडित ने कहा मैं उस लड़की की आत्मा को मुक्ति दिलाने में तुम्हारी मदद करूंगा और पंडित जी घर पर आए फूल,माला,लाल कपड़ा,नींबू इतना सब सामान मंगवा कर पूजा करना चालू कर दिया।

चार-पांच दिन पूजा हवन करने के बाद उस लड़की को मुक्ति मिल गई और वह तब से आज तक हमारे परिवार में से ना किसी को परेशान किया ना ही किसी को दिखी।हम समझ गए कि शायद उसे मुक्ति मिल गई हो लेकिन जो हमारे दादाजी ने किया वह दिल को दहला देने वाला था।